देखा तो सब के सर पे गुनाहों का बोझ था
ख़ुश थे तमाम नेकियाँ दरिया में डाल कर
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ख़ुदा कहाँ है
शोर साहिल का समुंदर में न था
दुख का एहसास न मारा जाए
उस से बिछड़ते वक़्त मैं रोया था ख़ूब-सा
आसमान पर जा पहुँचूँ
अँधेरी रातों में देख लेना
कभी तो ऐसा भी हो राह भूल जाऊँ मैं
लड़की अच्छी है 'अल्वी'
मिरे होने ने मुझ को मार डाला
मौत न आई तो 'अल्वी'
जाते जाते देखना पत्थर में जाँ रख जाऊँगा
कल रात जगमगाता हुआ चाँद देख कर