अँधेरी रातों में देख लेना
दिखाई देगी बदन की ख़ुश्बू
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कहाँ भटकते फिरोगे 'अल्वी'
मगर मैं ख़ुदा से कहूँगा
सच कहाँ कहता है जाने वाला
मैं ख़ुद को मरते हुए देख कर बहुत ख़ुश हूँ
इस भरी दुनिया से वो चल दिया चुपके से यूँ
लोग कहते हैं कि मुझ सा था कोई
शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ
पहली बूँद गिरी टिप से
पढ़ के हैराँ हूँ ख़बर अख़बार में
यार आज मैं ने भी इक कमाल करना है
छोड़ गया मुझ को 'अल्वी'
काँटे की तरह सूख के रह जाओगे 'अल्वी'