शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ
मैं आँखें बंद कर के घर के अंदर देख लेता हूँ
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ऐसा हुआ नहीं है पर ऐसा न हो कहीं
तिरा न मिलना अजब गुल खिला गया अब के
रात मिली तन्हाई मिली और जाम मिला
थोड़ी सर्दी ज़रा सा नज़ला है
सोचते रहते हैं अक्सर रात में
घर ने अपना होश सँभाला दिन निकला
यक्का उलट के रह गया घोड़ा भड़क गया
शेर तो सब कहते हैं क्या है
लड़की अच्छी है 'अल्वी'
ऐसा हंगामा न था जंगल में