रात कौन आया था
कर गया सहर रौशन
Mohsin Naqvi
Gulzar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(648) Peoples Rate This
न जाने दिल कहाँ रहने लगा है
मछली की बू
ख़्वाब में एक मकाँ देखा था
जुर्म ओ सज़ा
हम से जो आगे गए कितने मेहरबान थे
बदन का फ़ैसला
इस शहर में कहीं पे हमारा मकाँ भी हो
शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ
दिल है प्यासा हुसैन के मानिंद
बिना मुर्ग़े के पर झटकती हैं
और फिर यूँ होगा
यूँ तो कम कम थी मोहब्बत उस की