या अश्कों का रोना था मुझे या अक्सर रोता रहता हूँ
या एक भी गौहर पास न था या लाखों गौहर टूट गए
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इक प्यास भरे दिल पर न हुई तासीर तुम्हारी नज़रों की
हम एक ख़्वाब लिए माह ओ साल से गुज़रे
फ़ज़ा-ए-शब में सितारे हज़ार गुज़रे हैं
फ़ुज़ूल राज़ मोहब्बत का सब छुपाते हैं
उस ने इस तरह मोहब्बत की निगाहें डालीं
तवाइफ़
फ़ितरत एक मुफ़लिस की नज़र में
जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी साहिल की तमन्ना किस को थी
तुझ से नज़र मिला कर दीवाना हो गया मैं
कभी दर्द की तमन्ना कभी कोशिश-ए-मुदावा
शिकवा ज़बान से न कभी आश्ना हुआ
ऐ मौज-ए-बला उन को भी ज़रा दो चार थपेड़े हल्के से