मुबीन मिर्ज़ा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुबीन मिर्ज़ा (page 2)
नाम | मुबीन मिर्ज़ा |
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अंग्रेज़ी नाम | Mubeen Mirza |
ग़ुबार-ए-राह-ए-तिलिस्म-ए-ज़माना हो गए हैं
इक नक़्श बिगड़ने से इक हद के गुज़रने से
इक ख़्वाब को आँखें रेहन रखें इक शौक़ में दिल वीरान किया
दिन रात के देखे हुए मंज़र से अलग है
चले जाएँगे सब अस्बाब हैरानी न जाएगी
बड़े तूफ़ाँ उठाने के लिए हैं