मुझे जिस ने मेरा पता दिया वो ग़म-ए-निहाँ मिरे साथ है

मुझे जिस ने मेरा पता दिया वो ग़म-ए-निहाँ मिरे साथ है

मिरी ज़िंदगी मिरी रौशनी दिल-ए-बे-अमाँ मिरे साथ है

मिरा कारवाँ जो बिछड़ गया मिरे दिल का नक़्श बिगड़ गया

मैं हूँ इक मुसाफ़िर गुम-शुदा सो यही फ़ुग़ाँ मिरे साथ है

इसी आरज़ू की तड़प लिए यूँही फिर रहा हूँ मैं दर-ब-दर

वही ख़ाक है मिरे सर में भी वही आसमाँ मिरे साथ है

ये जो आँख आज छलक उठी मिरे दिल का भेद ही खुल गया

मैं समझ रहा था ये अब तलक ग़म-ए-बे-निशाँ मिरे साथ है

जो गए दिनों पे उठी नज़र मिरे दिल ने ख़ुद ये कहा मुझे

मैं किसी तिलिस्म-कदे में हूँ कोई दास्ताँ मिरे साथ है

बड़ी मुद्दतों के बा'द जो अब तिरी याद आई तो यूँ लगा

सर-ए-दश्त-ए-वहशत ज़िंदगी कोई मेहरबाँ मिरे साथ है

यही सोच कर मैं हूँ मुतमइन तही-दस्त फिर भी नहीं हूँ मैं

मिरे दोस्त गो कि चले गए ग़म-ए-दोस्ताँ मिरे साथ है

किसी ताल पर किसी तान पर मिरी रूह आज है वज्द में

मिरा वहम है कि हक़ीक़तन कोई नग़्मा-ख़्वाँ मिरे साथ है

ये अजब रंग-ए-मिज़ाज है मगर अब यही मुझे रास है

कभी ढूँढता हूँ मैं ख़ुद को भी कभी इक जहाँ मिरे साथ है

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