हज़्ल

ग़ैर से थोड़ी सी इक दिन बेवफ़ाई कर के देख

कितना सच्चा प्यार है मेरा ट्राइ कर के देख

ख़त नहीं लिखता हूँ मैं मुझ को न ये इल्ज़ाम दे

अपनी अलमारी की भी एक दिन सफ़ाई कर के देख

सूई धागा हाथ में है और कोई कपड़ा नहीं

खाल हाज़िर है मिरी इस पर कढ़ाई कर के देख

रू-ब-रू हो यार तो रुख़ अपना उस से फेर ले

अपनी क़ुर्बत में कभी शामिल जुदाई कर के देख

वो हसीना अब ज़ईफ़ा हो चुकी तो क्या हुआ

मर्सिया है तू भी तो उस की रुबाई कर के देख

तेरे बारे में हैं मालूमात कितनी उस के पास

जानना है तो पड़ोसी से लड़ाई कर के देख

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In Hindi By Famous Poet Naseem Sehri. is written by Naseem Sehri. Complete Poem in Hindi by Naseem Sehri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.