यूँ भी जब तक ग़म से मर नहीं जाता मैं

यूँ भी जब तक ग़म से मर नहीं जाता मैं

रात गए तक लौट के घर नहीं जाता मैं

देखता रहता हूँ तुझ को उस लम्हे तक!

जब तक सारा दर्द से भर नहीं जाता मैं

उतनी देर समेटूँ सारे दुख तेरे

जितनी देर ऐ दोस्त बिखर नहीं जाता मैं

तेरे ग़म का बोझ उठाऊँगा जब तक

कोह-ए-ग़म से पार उतर नहीं जाता मैं

मौत से आगे तक के मंज़र देखे हैं

तन्हाई से यूँही डर नहीं जाता मैं

'नईम' उस से मैं अपने सारे दुख कहने

सोचता तो रहता हूँ पर नहीं जाता मैं

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In Hindi By Famous Poet Nayeem Gilani. is written by Nayeem Gilani. Complete Poem in Hindi by Nayeem Gilani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.