जो ख़ुशामद करे ख़ल्क़ उस से सदा राज़ी है
हक़ तो ये है कि ख़ुशामद से ख़ुदा राज़ी है
Gulzar
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(262) Peoples Rate This
देख अक़्द-ए-सुरय्या हमें अंगूर की सूझी
कल जो रुख़-ए-अ'रक़-फ़िशाँ यार ने टुक दिखा दिया
जितने हैं कुश्तगान-ए-इश्क़ उन के अज़ल से हैं मिले
उस शोख़ को हम ने जिस घड़ी जा देखा
हम हाल तो कह सकते हैं अपना प कहें क्या
इधर यार जब मेहरबानी करेगा
कुछ हम को इम्तियाज़ नहीं साफ़ ओ दुर्द का
दूर-अज़-तरीक़ मुझ को समझियो न ज़ाहिदा
लावे ख़ातिर में हमारे दिल को वो मग़रूर क्या
कई दिन से हम भी हैं देखे उसे हम पे नाज़ ओ इताब है
जुदा किसी से किसी का ग़रज़ हबीब न हो
बहार