पुकारा क़ासिद-ए-अश्क आज फ़ौज-ए-ग़म के हाथों से
हुआ ताराज पहले शहर-ए-जाँ दिल का नगर पीछे
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Wasi Shah
Parveen Shakir
Gulzar
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(372) Peoples Rate This
मुझे इस झमक से आया नज़र इक निगार-ए-रा'ना
मुखड़े को जो उस के हम ने जा कर देखा
ऐ मिरी जान हमेशा हो तिरी जान की ख़ैर
गर हम ने दिल सनम को दिया फिर किसी को क्या
निगह के सामने उस का जूँही जमाल हुआ
था इरादा तिरी फ़रियाद करें हाकिम से
नहीं हवा में ये बू नाफ़ा-ए-ख़ुतन की सी
ऐश कर ख़ूबाँ में ऐ दिल शादमानी फिर कहाँ
दिखा कर इक नज़र दिल को निहायत कर गया बेकल
हर आन तुम्हारे छुपने से ऐसा ही अगर दुख पाएँगे हम
हस्तियाँ नीस्तियाँ याँ भी हैं ऐसी जैसे
दिल ठहरा एक तबस्सुम पर कुछ और बहा ऐ जान नहीं