Ghazals of Nazm Tabaa-tabaa.ii

Ghazals of Nazm Tabaa-tabaa.ii
नामनज़्म तबा-तबाई
अंग्रेज़ी नामNazm Tabaa-tabaa.ii
जन्म की तारीख1854
मौत की तिथि1933
जन्म स्थानLucknow

यूँ तो न तेरे जिस्म में हैं ज़ीनहार हाथ

यूँ मैं सीधा गया वहशत में बयाबाँ की तरफ़

ये हुआ मआल हुबाब का जो हवा में भर के उभर गया

ये आह-ए-बे-असर क्या हो ये नख़्ल-ए-बे-समर क्या हो

उड़ा कर काग शीशे से मय-ए-गुल-गूँ निकलती है

तन्हा नहीं हूँ गर दिल-ए-दीवाना साथ है

सुब्हा है ज़ुन्नार क्यूँ कैसी कही

संग-ए-जफ़ा का ग़म नहीं दस्त-ए-तलब का डर नहीं

पुर्सिश जो होगी तुझ से जल्लाद क्या करेगा

फिरी हुई मिरी आँखें हैं तेग़-ज़न की तरफ़

नदामत है बना कर इस चमन में आशियाँ मुझ को

मुझ को समझो यादगार-ए-रफ़्तगान-ए-लखनऊ

क्या कारवान-ए-हस्ती गुज़रा रवा-रवी में

कोई मय दे या न दे हम रिंद-ए-बे-पर्वा हैं आप

किसी से बस कि उमीद-ए-कुशूद-ए-कार नहीं

किस लिए फिरते हैं ये शम्स ओ क़मर दोनों साथ

जुनूँ के वलवले जब घुट गए दिल में निहाँ हो कर

इस वास्ते अदम की मंज़िल को ढूँडते हैं

इस महीना भर कहाँ था साक़िया अच्छी तरह

हँसी में वो बात मैं ने कह दी कि रह गए आप दंग हो कर

एहसान ले न हिम्मत-ए-मर्दाना छोड़ कर

बिदअ'त मस्नून हो गई है

अबस है नाज़-ए-इस्तिग़्ना पे कल की क्या ख़बर क्या हो

आ के मुझ तक कश्ती-ए-मय साक़िया उल्टी फिरी

आ गया फिर रमज़ाँ क्या होगा

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