आ गया फिर रमज़ाँ क्या होगा

आ गया फिर रमज़ाँ क्या होगा

हाए ऐ पीर-ए-मुग़ाँ क्या होगा

बाग़-ए-जन्नत में समाँ क्या होगा

तू नहीं जब तो वहाँ क्या होगा

ख़ुश वो होता है मिरे नालों से

और अंदाज़-ए-फ़ुग़ाँ क्या होगा

दूर की राह है सामाँ हैं बड़े

इतनी मोहलत है कहाँ क्या होगा

देख लो रंग-ए-परीदा को मिरे

दिल जलेगा तो धुआँ क्या होगा

होगा बस एक निगह में जो तमाम

वो ब-हसरत निगराँ क्या होगा

हम ने माना कि मिला मुल्क-ए-जहाँ

न रहे हम तो जहाँ क्या होगा

मर के जब ख़ाक में मिलना ठहरा

फिर ये तुर्बत का निशाँ क्या होगा

जिस तरह दिल हुआ टुकड़े अज़-ख़ुद

चाक इस तरह कताँ क्या होगा

या तिरा ज़िक्र है या नाम तिरा

और फिर विर्द-ए-ज़बाँ क्या होगा

इश्क़ से बाज़ न आना 'हैदर'

राज़ होने दे अयाँ क्या होगा

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In Hindi By Famous Poet Nazm Tabaa-tabaa.ii. is written by Nazm Tabaa-tabaa.ii. Complete Poem in Hindi by Nazm Tabaa-tabaa.ii. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.