अपनी दुनिया तो बना ली थी रिया-कारों ने
मिल गया ख़ुल्द भी अल्लाह को फुसलाने से
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
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काबा ओ बुत-ख़ाना आरिफ़ की नज़र से देखिए
नज़र कहीं नहीं अब आते हज़रत-ए-नासेह
तू ने तो अपने दर से मुझ को उठा दिया है
संग-ए-जफ़ा का ग़म नहीं दस्त-ए-तलब का डर नहीं
बिछड़ के तुझ से मुझे है उमीद मिलने की
हँसी में वो बात मैं ने कह दी कि रह गए आप दंग हो कर
उड़ा कर काग शीशे से मय-ए-गुल-गूँ निकलती है
असीरी में बहार आई है फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ कर लें
गोर-ए-ग़रीबाँ
लोटते रहते हैं मुझ पर चाहने वालों के दिल
बिदअ'त मस्नून हो गई है
नशा में सूझती है मुझे दूर दूर की