काबा ओ बुत-ख़ाना आरिफ़ की नज़र से देखिए
ख़्वाब दोनों एक ही हैं फ़र्क़ है ताबीर में
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
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तन्हा नहीं हूँ गर दिल-ए-दीवाना साथ है
यूँ मैं सीधा गया वहशत में बयाबाँ की तरफ़
रोज़-ए-सियह में साथ कोई दे तो जानिए
मिरी बातों में क्या मालूम कब सोए वो कब जागे
नज़र कहीं नहीं अब आते हज़रत-ए-नासेह
अबस है नाज़-ए-इस्तिग़्ना पे कल की क्या ख़बर क्या हो
दर्द-ए-दिल से इश्क़ के बे-पर्दगी होती नहीं
दिल इस तरह हवा-ए-मोहब्बत में जल गया
गोर-ए-ग़रीबाँ
इस वास्ते अदम की मंज़िल को ढूँडते हैं
सुब्हा है ज़ुन्नार क्यूँ कैसी कही
बिछड़ के तुझ से मुझे है उमीद मिलने की