दिल का क्या है दिल ने कितने मंज़र देखे लेकिन
आँखें पागल हो जाती हैं एक ख़याल से पहले
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कौन भँवर में मल्लाहों से अब तकरार करेगा
समझ में कुछ नहीं आता
दुश्मन-ए-जाँ कई क़बीले हुए
किसी हर्फ़ में किसी बाब में नहीं आएगा
तितलियाँ जुगनू सभी होंगे मगर देखेगा कौन
यही नहीं कोई तूफ़ाँ मिरी तलाश में है
उसे लाख दिल से पुकार लो उसे देख लो
अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ
ये आरज़ू थी कि हम उस के साथ साथ चलें
अजीब ख़्वाहिश है शहर वालों से छुप छुपा कर किताब लिक्खूँ
उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए