ओबैदुर् रहमान कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ओबैदुर् रहमान (page 2)
नाम | ओबैदुर् रहमान |
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अंग्रेज़ी नाम | Obaidur Rahman |
मसअले मेरे सभी हल कर दे
मंज़िलें और भी हैं वहम-ओ-गुमाँ से आगे
ख़ुशबू तिरे लहजे की मिरे फ़न में बसी है
जुस्तुजू के सफ़र में रहते हैं
हम बुरा करते या भला करते
है आज अंधेरा हर जानिब और नूर की बातें करते हैं
गुमरही का मिरी सामान हुआ जाता है
घर के अंदर भोली-भाली सूरतें अच्छी लगीं
एक मुद्दत से जो सीने में बसा है क्या है
बड़े ही नाज़ से लाया गया हूँ
अपना मुहासबा कभी करने नहीं दिया