Ghazals of Obaidur Rahman

Ghazals of Obaidur Rahman
नामओबैदुर् रहमान
अंग्रेज़ी नामObaidur Rahman

शुऊर तक अभी उन की कहाँ रसाई है

पुर-कैफ़ कहीं के भी नज़ारे न रहेंगे

पहले कुछ दिन मिरे ज़ख़्मों की नुमाइश होगी

निखरना अक़्ल-ओ-ख़िरद का अगर ज़रूरी है

नक़ाब चेहरे से मेरे हटा रही है ग़ज़ल

मसअले मेरे सभी हल कर दे

मंज़िलें और भी हैं वहम-ओ-गुमाँ से आगे

ख़ुशबू तिरे लहजे की मिरे फ़न में बसी है

जुस्तुजू के सफ़र में रहते हैं

हम बुरा करते या भला करते

है आज अंधेरा हर जानिब और नूर की बातें करते हैं

गुमरही का मिरी सामान हुआ जाता है

घर के अंदर भोली-भाली सूरतें अच्छी लगीं

एक मुद्दत से जो सीने में बसा है क्या है

बड़े ही नाज़ से लाया गया हूँ

अपना मुहासबा कभी करने नहीं दिया

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