जिस से तेरी हुई है यकताई
उस ने वहदत से आगही पाई
आप वहदत है आप कसरत है
ख़ुद-तमाशा ओ ख़ुद-तमाशाई
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यही तमन्ना-ए-दिल है उन की जिधर को रुख़ हो उधर को चलिए
इश्क़ माशूक़ का है पैदाई
दिल-ए-शहीद हुआ है शहीद-ए-हुस्न-ए-सिफ़ात
अदू-ए-ख़ीरा-सराब हो गया बड़ा ख़ुर्रांट
आप हैं महव-ए-हुस्न-ओ-रानाई
जम गए राह में हम नक़्श-ए-क़दम की सूरत
हम से जो अहद था वो अहद-शिकन भूल गया
क्यूँ आ गए हैं बज़्म-ए-ज़ुहूर-ओ-नुमूद में
दिल-सोख़्ता को अपने जलाया ग़ज़ब किया
हुआ न क़ुर्ब-ए-तअ'ल्लुक़ का इख़तिसास यहाँ
वही ज़िद उन को है वही है हट
ये रूपोशी नहीं है सूरत-ए-मर्दुम-शनासी है