जम गए राह में हम नक़्श-ए-क़दम की सूरत
नक़्श-ए-पा राह दिखाते हैं कि वो आते हैं
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हरीस हो न जहाँ में न अपना जी भटका
यही तमन्ना-ए-दिल है उन की जिधर को रुख़ हो उधर को चलिए
हम को भरम ने बहर-ए-तवहहुम बना दिया
हसरत-ओ-उम्मीद का मातम रहा
वही ज़िद उन को है वही है हट
इश्क़ माशूक़ का है पैदाई
अपने जुनूँ-कदे से निकलता ही अब नहीं
तुम ने देखा ही नहीं है वो निज़ाम-ए-मख़्सूस
मुझ से कहते हो क्या कहेंगे आप
जो बशर हर वक़्त महव-ए-ज़ात है
हस्ती-ए-नीस्त-नुमा दीदा-ए-हैराँ समझा
इस शोख़-ए-रम-शिआ'र से कहता सलाम-ए-शौक़