Ghazals of Parveen Umm-e-Mushtaq (page 2)

Ghazals of Parveen Umm-e-Mushtaq (page 2)
नामपरवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
अंग्रेज़ी नामParveen Umm-e-Mushtaq

है अपने क़त्ल की दिल-ए-मुज़्तर को इत्तिलाअ

ग़रीब आदमी को ठाट पादशाही का

दिल पुकारा फँस के कू-ए-यार में

दिल में तीर-ए-इश्क़ है और फ़र्क़ पर शमशीर-ए-इश्क़

दिल की चोरी में जो चश्म-ए-सुर्मा-सा पकड़ी गई

देखो तो ज़रा ग़ज़ब ख़ुदा का

बाज़ी पे दिल लगा है कोई दिल-लगी नहीं

बहुत से ज़मीं में दबाए गए हैं

बहुत ही साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ आ गया तक़दीर से काग़ज़

बहुत दिन दर्स-ए-उल्फ़त में कटे हैं

बदली हुई है चर्ख़ की रफ़्तार आज-कल

अब कोई तिरा मिस्ल नहीं नाज़-ओ-अदा में

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