नया अब सिलसिला जोड़ा न जाए
पुरानों को मगर तोड़ा न जाए
मुझे जो छोड़ जाना चाहता है
अगर जाए तो फिर थोड़ा न जाए
बहुत नुक़सान करती है ख़ुदी का
अना का रुख़ अगर मोड़ा न जाए
तमन्ना आसमानों के सफ़र की
मगर आँगन कि बस छोड़ा न जाए
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Javed Akhtar
Anwar Masood
Wasi Shah
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मंगल को बजरंग-बली से तेरा शुक्र मनाऊँ
तेरी दौलत रह जाएगी तेरे घर चौबारों तक
दोनों जानिब क़ैद-शुदा इस ख़ुश-फ़हमी में रहते हैं
आदमी थे शय हुए सौदा हुए
तुम्हारी याद के मंज़र पुराने घेर लेते हैं
मैं जब से सच को सच कहने लगा हूँ
ठोकरों से बिखर नहीं सकती
जो हम तेरी आँखों के तारे हुए हैं
बच-बचा कर जब कहा तारीफ़ मैं कम पड़ गया
गोरख-धंधा हो जाऊँ क्या?
तीरगी की अपनी ज़िद है जुगनुओं की अपनी ज़िद