तुम ने लिक्खा है मिरे ख़त मुझे वापस कर दो
डर गईं हुस्न-ए-दिला-आवेज़ की रुस्वाई से
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Habib Jalib
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(527) Peoples Rate This
सुरज का अलमिया
रात की भीगी पलकों पर जब अश्क हमारे हँसते हैं
पथर
नुक़ूश
अना और अंदेशा
कितने पाकीज़ा हैं नौ-ख़ेज़ जवानी के कलस
हो गया हूँ हर तरफ़ बद-नाम तेरे शहर में
सलीक़ा है मुझे तारों से लौ लगाने का
हाथ जो बहर-ए-दुआ उठे हैं झुक जाएँगे
ओस में भीगी हुई तन्हाइयों के जिस्म से
किस ने देखे होंगे अब तक ऐसे नए निराले पत्थर