झुक गईं मिल के अजनबी आँखें
दिल से दिल हम-कलाम हो न सका
हाए मजबूरियाँ मोहब्बत की
हाथ उठ्ठे सलाम हो न सका
Wasi Shah
Anwar Masood
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Gulzar
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
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न अहल-ए-मय-कदा ने मुस्कुरा कर बात की हम से
किस ने देखे होंगे अब तक ऐसे नए निराले पत्थर
मैं ने देखा जब आदमी का लहू
ये शब तो क्या सहर को भी शायद नहीं पता
बहुत मुख़्तसर सा तआ'रुफ़ है मेरा
कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है
नग़्मा नुमा
झिलमिलाते हुए सपनों का स्वयंवर बन कर
गुफ़्तुगू क्यूँ न करें दीदा-ए-तर से बादल
रू-ब-रू सीना-ब-सीना पा-ब-पा और लब-ब-लब
अना और अंदेशा
फिरते रहे अज़ल से अबद तक उदास हम