रखते हैं दुश्मनी भी जताते हैं प्यार भी

रखते हैं दुश्मनी भी जताते हैं प्यार भी

हैं कैसे ग़म-गुसार मिरे ग़म-गुसार भी

अफ़्सुर्दगी भी रुख़ पे है उन के निखार भी

है आज गुल्सिताँ में ख़िज़ाँ भी बहार भी

पीता हूँ मैं शराब-ए-मोहब्बत तो क्या हुआ

पीता है ये शराब तो पर्वरदिगार भी

मिलने की है ख़ुशी तो बिछड़ने का है मलाल

दिल मुतमइन भी आप से है बे-क़रार भी

आ कर वो मेरी लाश पे ये कह के रो दिए

तुम से हुआ न आज मिरा इंतिज़ार भी

ऐ दोस्त ब'अद-ए-मर्ग भी मैं हूँ शिकस्ता-हाल

दिल की तरह से टूटा हुआ है मज़ार भी

'पुरनम' ये सब करम है 'क़मर' का जो आज-कल

होता है अहल-ए-फ़न में तुम्हारा शुमार भी

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In Hindi By Famous Poet Purnam Allahabadi. is written by Purnam Allahabadi. Complete Poem in Hindi by Purnam Allahabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.