तुझे भी चैन न आए क़रार को तरसे
तुझे भी चैन न आए क़रार को तरसे
चमन में रह के चमन की बहार को तरसे
इलाही बर्क़ वो टूटे जमाल पर तेरे
कली की तरह से तू भी निखार को तरसे
तमाम उम्र रहे मेरा मुंतज़िर तू भी
तमाम उम्र मिरे इंतिज़ार को तरसे
न हो नसीब मोहब्बत की ज़िंदगी तुझ को
सुकून-ए-ज़ीस्त को ढूँडे क़रार को तरसे
दुआ है 'क़ैसर'-ए-महजूर की यही पैहम
कि तू भी जल्वा-ए-रुख़्सार-ए-यार को तरसे
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