अब तो रुस्वाइयाँ यक़ीनी हैं
उन के लब पर मिरा फ़साना है
Habib Jalib
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Gulzar
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Wasi Shah
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Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
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कह रही है सारी दुनिया तेरा दीवाना मुझे
तिरी नज़र के इशारों को नींद आई है
तिरे बग़ैर तेरे इंतिज़ार से थक कर
नज़र-नवाज़ नज़ारों से बात करता हूँ
मोहब्बत बाइस-ए-दीवानगी है और बस मैं हूँ
तू सरापा नूर है मैं तेरा अक्स-ए-ख़ास हूँ
तिरी नज़र के इशारों को दिल-कशी बख़्शी
आतिश-ए-सोज़-ए-मोहब्बत को बुझा सकता हूँ मैं
तुझे भी चैन न आए क़रार को तरसे
निज़ाम-ए-गुलशन-ए-हस्ती बदल के दम लेंगे
तमाम उम्र रहे मेरा मुंतज़िर तू भी
मुन्हरिफ़ मुझ से इक ज़माना है