यारो ये दौर ज़ोफ़-ए-बसारत का दौर है
आँधी उठे तो उस को घटा कह लिया करो
Parveen Shakir
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तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
आया ही था अभी मिरे लब पे वफ़ा का नाम
ज़िंदगी या तवाइफ़
अंदेशा-ए-अर्बाब-हरम साथ रहेगा
रहगुज़र
आप-बीती
वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे
एक्ट्रेस
शम्अ जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना
रक़्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में