तेरी निगह से तुझ को ख़बर है कि क्या हुआ
दिल ज़िंदगी से बार-ए-दिगर आश्ना हुआ
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नक़्श-ए-कफ़-ए-पा ने गुल खिलाए
चाँद चमकने लगता है
धुँदला दिया ज़ीस्त का तसव्वुर
इन की जब नुक्ता-वरी याद आई
ख़्वाहिशों की मौत का यारो भला चाहा करो
ख़लिश-ए-तअस्सुर
आप क्यूँ छेड़ते हैं दीपक राग
क्यूँ बैठ गए ग़ुबार से हम
सूरज की किरन का शोबदा है
सेर-शिकमी का भूक से है मिलाप