पूछो तो एक एक है तन्हा सुलग रहा
देखो तो शहर शहर है मेला लगा हुआ
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इन की जब नुक्ता-वरी याद आई
जाएँ घुड़-दौड़ पर कि खेलें ताश
एक नज़्म
ख़्वाहिशों की मौत का यारो भला चाहा करो
चनारें वादियों में मुश्तइ'ल हैं
शहर में रंग है न ख़ुश्बू है
तेरी निगह से तुझ को ख़बर है कि क्या हुआ
धुँदला दिया ज़ीस्त का तसव्वुर
वो कहाँ मुझ पे जफ़ा करता था
सूरज की किरन का शोबदा है