हवा की चादर-ए-सद-चाक ओढ़े जा रहे हैं

हवा की चादर-ए-सद-चाक ओढ़े जा रहे हैं

सवारो किस तरफ़ मुँह-ज़ोर घोड़े जा रहे हैं

हमें भी याद कर लेना जब उन पर फूल आएँ

हम अपना ख़ून पौदों पर निचोड़े जा रहे हैं

समर तो क्या शजर पर कोई पत्ता भी नहीं है

मगर हम हैं कि शाख़ों को झिंझोड़े जा रहे हैं

ये किस सुब्ह-ए-हक़ीक़त में खुली है आँख मेरी

कि तेरे ख़्वाब भी अब साथ छोड़े जा रहे हैं

मैं किस दुख से अकेले देखता जाता हूँ उन को

फ़ज़ा में पंछियों के चंद जोड़े जा रहे हैं

वो जिस की अम्न की बुनियाद पर तामीर की थी

'अमीर' उस शहर-ए-जाँ में ज़ुल्म तोड़े जा रहे हैं

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In Hindi By Famous Poet Raoof Ameer. is written by Raoof Ameer. Complete Poem in Hindi by Raoof Ameer. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.