Ghazals of Rasheed Nisar

Ghazals of Rasheed Nisar
नामरशीद निसार
अंग्रेज़ी नामRasheed Nisar

ज़ात के कमरे में बैठा हूँ मैं खिड़की खोल कर

सवाद-ए-शाम पे सूरज उतरने वाला है

सरहद-ए-जिस्म पे हैरान खड़ा था मैं भी

नहीं था ज़ख़्म तो आँसू कोई सजा लेता

मैं उसे अपने मुक़ाबिल देख कर घबरा गया

मैं चोब-ए-ख़ुश्क सही वक़्त का हूँ सहरा में

कोई तो है कि नए रास्ते दिखाए मुझे

दरिया को अपने पाँव की कश्ती से पार कर

अपने ज़िंदा जिस्म की गुफ़्तार में खोया हुआ

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