साबिर ज़फ़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साबिर ज़फ़र (page 3)
नाम | साबिर ज़फ़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Sabir Zafar |
जन्म की तारीख | 1949 |
जन्म स्थान | Rawalpindi |
पड़ा न फ़र्क़ कोई पैरहन बदल के भी
निगाह करने में लगता है क्या ज़माना कोई
नज़र से दूर हैं दिल से जुदा न हम हैं न तुम
नज़र आते नहीं हैं बहर में हम
नए कपड़े बदल और बाल बना तिरे चाहने वाले और भी हैं
मोहब्बतें थीं कुछ ऐसी विसाल हो के रहा
मिसाल-ए-संग पड़ा कब तक इंतिज़ार करूँ
में सोचता हूँ जिसे आश्ना भी होता है
मैं ने घाटे का भी इक सौदा किया
मैं जिस के साथ 'ज़फ़र' उम्र भर उठा बैठा
मैं एक हाथ तिरी मौत से मिला आया
मैं भी हूँ इक मकान की हद में
महसूस लम्स जिस का सर-ए-रह-गुज़र किया
लहू में नाचती हमेश्गी उदास हो के रह गई
कोई तो तर्क-ए-मरासिम पे वास्ता रह जाए
किसी तौर हो न पिन्हाँ तिरा रंग-ए-रू-सियाही
ख़ुमार-ए-शब में जो इक दूसरे पे गिरते हैं
ख़िज़ाँ की रुत है जनम-दिन है और धुआँ और फूल
काम इतनी ही फ़क़त राहगुज़र आएगी
जीने का दरस सब से जुदा चाहिए मुझे
जिधर हो ज़िंदगी मुश्किल उधर नहीं आते
हर एक मरहला-ए-दर्द से गुज़र भी गया
डूबता हूँ जो हटाता हूँ नज़र पानी से
दिन को मिस्मार हुए रात को तामीर हुए
दरीचा बे-सदा कोई नहीं है
छाने होंगे सहरा जिस ने वो ही जान सका होगा
अपनी यकजाई में भी ख़ुद से जुदा रहता हूँ
अक्स पानी में अगर क़ैद किया जा सकता
अब कहीं और कहाँ ख़ाक-बसर हों तिरे बंदे जा कर