साबिर ज़फ़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साबिर ज़फ़र (page 2)
नाम | साबिर ज़फ़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Sabir Zafar |
जन्म की तारीख | 1949 |
जन्म स्थान | Rawalpindi |
किसी ख़याल की सरशारी में जारी-ओ-सारी यारी में
ख़िज़ाँ की रुत है जनम-दिन है और धुआँ और फूल
कैसे करें बंदगी 'ज़फ़र' वाँ
कहती है ये शाम की नर्म हवा फिर महकेगी इस घर की फ़ज़ा
इलाज-ए-अहल-ए-सितम चाहिए अभी से 'ज़फ़र'
इक-आध बार तो जाँ वारनी ही पड़ती है
हम इतना चाहते थे एक दूसरे को 'ज़फ़र'
हर शख़्स बिछड़ चुका है मुझ से
हर दर्जे पे इश्क़ कर के देखा
गुज़ारता हूँ जो शब इश्क़-ए-बे-मआश के साथ
दूर तक एक ख़ला है सो ख़ला के अंदर
बेवफ़ा लोगों में रहना तिरी क़िस्मत ही सही
बना हुआ है मिरा शहर क़त्ल-गाह कोई
बदन ने छोड़ दिया रूह ने रिहा न किया
अपनी यादें उस से वापस माँग कर
अजब इक बे-यक़ीनी की फ़ज़ा है
ऐ काश ख़ुद सुकूत भी मुझ से हो हम-कलाम
ये सोच के राख हो गया हूँ
यहाँ जो पेड़ थे अपनी जड़ों को छोड़ चुके
यहाँ है धूप वहाँ साए हैं चले जाओ
वो नींद अधूरी थी क्या ख़्वाब-ए-ना-तमाम था क्या
वो नींद अधूरी थी क्या ख़्वाब ना-तमाम था क्या
वो क्यूँ न रूठता मैं ने भी तो ख़ता की थी
वाक़िफ़ ख़ुद अपनी चश्म-ए-गुरेज़ाँ से कौन है
तन्हाई तामीर करेगी घर से बेहतर इक ज़िंदान
सितारे सो गए तो आसमाँ कैसा लगेगा
शाम से पहले तिरी शाम न होने दूँगा
सब सितम याद हैं सारी हमदर्दियाँ याद हैं
रात को ख़्वाब हो गई दिन को ख़याल हो गई
क़िस्मत में अगर जुदाइयाँ हैं