हर शख़्स बिछड़ चुका है मुझ से
क्या जानिए किस को ढूँढता हूँ
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सितारे सो गए तो आसमाँ कैसा लगेगा
वो जाग रहा हो शायद अब तक
शाम से पहले तिरी शाम न होने दूँगा
सब सितम याद हैं सारी हमदर्दियाँ याद हैं
न इंतिज़ार करो इन का ऐ अज़ा-दारो
मैं सोचता हूँ मुझे इंतिज़ार किस का है
ये इब्तिदा थी कि मैं ने उसे पुकारा था
नज़र से दूर हैं दिल से जुदा न हम हैं न तुम
बेवफ़ा लोगों में रहना तिरी क़िस्मत ही सही
इलाज-ए-अहल-ए-सितम चाहिए अभी से 'ज़फ़र'
मिलूँ तो कैसे मिलूँ बे-तलब किसी से मैं