महँगाई के ज़माने में बच्चों की रेल-पेल
ऐसा न हो कमर तिरी महँगाई तोड़ दे
अच्छा है दिल के पास रहे बेगम-ए-हयात
''लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
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Gulzar
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दिल्ली की लड़कियाँ
सारी जफ़ाएँ सारे करम याद आ गए
उस वक़्त मुझ को दावत-ए-जाम-ओ-सुबू मिली
अब इश्क़ नहीं मुश्किल बस इतना समझ लीजे
ख़ुद तो कभी न आएगी होंटों पे अब हँसी
होली
मैं ने पूछा ये एक शाएर से
मह-जबीनो पास आओ और ये बतलाओ हमें
ये बोला दिल्ली के कुत्ते से गाँव का कुत्ता
गिर्या-ए-शैताँ
गधों का मुशाएरे