ख़ुद तो कभी न आएगी होंटों पे अब हँसी
हाँ दूसरों के हँसने का सामाँ करेंगे हम
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Allama Iqbal
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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मुद्दत हुई है बिछड़े हुए अपने-आप से
मैं ने पूछा ये एक शाएर से
इंजीनियर करेंगे अगर डॉक्टर का काम
इक शब हमारे बज़्म में जूते जो खो गए
देख के बोला हाथ मुनज्जम
इक अजब चीज़ है शराफ़त भी
हुस्न ही हुस्न का हर शहर में जल्वा होता
अलाउद्दीन का तरबूज़
कितना पुर-सोज़ है ये नाला-ए-शब-गीर मिरा
दिल्ली की बस
पड़ोसी की मुर्ग़ियाँ
बारिशें नहीं होतीं