अब इश्क़ नहीं मुश्किल बस इतना समझ लीजे
कब आग का दरिया है कब तैर के जाना है
मायूस न हूँ आशिक़ मिल जाएगी माशूक़ा
बस इतनी सी ज़हमत है मोबाइल उठाना है
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जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
अलाउद्दीन का तरबूज़
'साग़र' किसे बताइए ये वोल्टेज का हाल
देख के बोला हाथ मुनज्जम
कहूँ तो क्या मैं कहूँ प्यारी प्यारी आँखों को
तस्वीर आज देख के अहद-ए-शबाब की
ये हादसा है बता दे कोई ज़माने को
गले पड़ा मेहमान
कहा बेटे ने इक तस्वीर अपनी माँ को दिखला कर
दीवानगी-ए-इश्क़ पे इल्ज़ाम कुछ भी हो