तस्वीर आज देख के अहद-ए-शबाब की
इतना हँसा कि आँख से आँसू निकल पड़े
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उल्टी गंगा
महँगाई के ज़माने में बच्चों की रेल-पेल
ये बोला दिल्ली के कुत्ते से गाँव का कुत्ता
तौबा तौबा से नदामत की घड़ी आई है
'साग़र' बहुत गुज़ारी गुनाहों में ज़िंदगी
रफ़्ता रफ़्ता हर पुलीस वाले को शाएर कर दिया
जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
सिर्फ़ कहती रहोगी ऐ बेगम
अदब में आ गए ख़म ठोंक शाएर
कौन कहता है बुलंदी पे नहीं हूँ 'सागर'
बैठे हैं ऐसे ज़ुल्फ़ में कलियाँ सँवार के
क्यूँ हमारे ख़ून को पानी किए देते हैं आप