'साग़र' बहुत गुज़ारी गुनाहों में ज़िंदगी
अब कुछ न कुछ नजात का सामाँ करेंगे हम
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कहा बेटे ने इक तस्वीर अपनी माँ को दिखला कर
कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर
कौन कहता है बुलंदी पे नहीं हूँ 'सागर'
इंजीनियर करेंगे अगर डॉक्टर का काम
मग़्ज़-ए-शाएर
लड़की की दुआ
क्यूँ हमारे ख़ून को पानी किए देते हैं आप
इक शब हमारे बज़्म में जूते जो खो गए
वो भी क्या दिन थे कि जब इश्क़ लड़ा लेते थे
'साग़र' किसे बताइए ये वोल्टेज का हाल
नवादिरात की दूकान
हुस्न ही हुस्न का हर शहर में जल्वा होता