नफ़रतों की जंग में देखो तो क्या क्या खो गया
सब्ज़ियाँ हिन्दू हुईं बकरा मुसलमाँ हो गया
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Wasi Shah
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Javed Akhtar
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Anwar Masood
Gulzar
Mir Taqi Mir
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अब जश्न-ए-अश्क ऐ शब-ए-हिज्राँ करेंगे हम
सारी जफ़ाएँ सारे करम याद आ गए
दीवानगी-ए-इश्क़ पे इल्ज़ाम कुछ भी हो
तौबा तौबा से नदामत की घड़ी आई है
ज़रूरत-ए-रिश्ता
पड़ोसी की मुर्ग़ियाँ
तजरबा है हमें मोहब्बत का
ये भी सच है कि मुझे दिल से भुलाया होगा
ख़ुद तो कभी न आएगी होंटों पे अब हँसी
लड़की की दुआ
कहा बेटे ने इक तस्वीर अपनी माँ को दिखला कर
दिल्ली की बस