वो भी क्या दिन थे कि जब इश्क़ लड़ा लेते थे
प्यार की डोर को चर्ख़ी पे चढ़ा लेते थे
Rahat Indori
Jaun Eliya
Habib Jalib
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Faiz Ahmad Faiz
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लड़की की दुआ
कहा बेटे ने इक तस्वीर अपनी माँ को दिखला कर
दुम
क्यूँ दिल तिरे ख़याल का हामिल नहीं रहा
ज़रूरत-ए-रिश्ता
ये हादसा है बता दे कोई ज़माने को
गले पड़ा मेहमान
मैं ने पूछा ये एक शाएर से
उल्टी गंगा
मुद्दत हुई है बिछड़े हुए अपने-आप से
महँगाई के ज़माने में बच्चों की रेल-पेल