ये हादसा है बता दे कोई ज़माने को
ये हादसा है बता दे कोई ज़माने को
कि हम ने आग लगाई है आशियाने को
तुम्हें सकूँ तो किसी कल मिले चमन वालो
चलो जला दिया ख़ुद हम ने आशियाने को
सुलूक-ए-लुत्फ़ ओ निगाह-ए-करम से ऐ साक़ी
शराब-ख़ाना बना दे शराब-ख़ाने को
ये बादा-ख़्वार जो क़ैदी हैं नश्शा-बंदी के
शराब-ख़ाना बना देंगे क़ैद-ख़ाने को
तुम अपनी तेग़ के दामन को क्यूँ भिगोतें हो
जहाँ में और भी ग़म हैं मिरे मिटाने को
नहीं है वक़्त अभी साज़गार ऐ 'साग़र'
कभी तो होगी मिरी जुस्तुजू ज़माने को
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