मह-जबीनो पास आओ और ये बतलाओ हमें
इंडिया है मुल्क अपना या कि इंग्लिस्तान है
किस से कहिए झाँकिए अपने गरेबाँ में ज़रा
जिस को कहते हैं गरेबाँ वो तो रोशन-दान है
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Anwar Masood
Gulzar
Wasi Shah
Habib Jalib
Jaun Eliya
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
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कहूँ तो क्या मैं कहूँ प्यारी प्यारी आँखों को
कितना पुर-सोज़ है ये नाला-ए-शब-गीर मिरा
न लिक्खो वस्ल की राहत सलीब लिख डालो
तौबा तौबा से नदामत की घड़ी आई है
बैठे हैं ऐसे ज़ुल्फ़ में कलियाँ सँवार के
आशिक़ जो चाहते थे वही काम हो गया
गले पड़ा मेहमान
रोटी कपड़ा और मकान
अलाउद्दीन का तरबूज़
बारिशें नहीं होतीं
इंजीनियर करेंगे अगर डॉक्टर का काम
दीवानगी-ए-इश्क़ पे इल्ज़ाम कुछ भी हो