Ghazals of Sagheer Malal

Ghazals of Sagheer Malal
नामसग़ीर मलाल
अंग्रेज़ी नामSagheer Malal
जन्म की तारीख1951
मौत की तिथि1992
जन्म स्थानKarachi

वो हक़ीक़त में एक लम्हा था

रात अंदर उतर के देखा है

फिर इस के बाद रास्ता हमवार हो गया

निकल गए थे जो सहरा में अपने इतनी दूर

न जाने क्यूँ सदा होता है एक सा अंजाम

मैं ढूँड लूँ अगर उस का कोई निशाँ देखूँ

क्यूँ हर उरूज को यहाँ आख़िर ज़वाल है

किसी इंसान को अपना नहीं रहने देते

किरदार कह रहे हैं कुछ अपनी ज़बान में

ख़ुद से निकलूँ तो अलग एक समाँ होता है

ख़ाक में मिलती हैं कैसे बस्तियाँ मालूम हो

कैसे जानूँ कि जहाँ ख़्वाब-नुमा होता है

जिसे सुनाओगे पहले ही सुन चुका होगा

जिस को तय कर न सके आदमी सहरा है वही

जब सामने की बात ही उलझी हुई मिले

फ़क़त ज़मीन से रिश्ते को उस्तुवार किया

एक रहने से यहाँ वो मावरा कैसे हुआ

बराए नाम सही साएबाँ ज़रूरी है

अलग हैं हम कि जुदा अपनी रह-गुज़र में हैं

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