न अब वो शिद्दत-ए-आवारगी न वहशत-ए-दिल
हमारे नाम की कुछ और शोहरतें भी गईं
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Gulzar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Rahat Indori
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
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पैमाना-ए-हाल हो गए हम
सदा अपनी रविश अहल-ए-ज़माना याद रखते हैं
सर-ए-राह
इक ख़्वाब के मौहूम निशाँ ढूँड रहा था
क़ाबील का साया
मन के मंदिर में है उदासी क्यूँ
तिरी आरज़ू से भी क्यूँ नहीं ग़म-ए-ज़िंदगी में कोई कमी
हम ने आदाब-ए-ग़म का पास किया
इक आस का धुँदला साया है इक पास का तपता सहरा है
दोराहा
रास्तों में इक नगर आबाद है