गुलशन गुलशन फूल
दामन दामन धूल
मरने पर ताज़ीर
जीने पर महसूल
हर जज़्बा मस्लूब
हर ख़्वाहिश मक़्तूल
इश्क़ परेशाँ-हाल
नाज़-ए-हुस्न मलूल
ना'रा-ए-हक़ मा'तूब
मक्र-ओ-रिया मक़्बूल
संवरा नहीं जहाँ
आए कई रसूल
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Gulzar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
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इसी दो-राहे पर
फिर वही कुंज-ए-क़फ़स
नफ़स के लोच में रम ही नहीं कुछ और भी है
ऐ नई नस्ल
जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे
ख़ूबसूरत मोड़
बुझा दिए हैं ख़ुद अपने हाथों मोहब्बतों के दिए जला के
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
ज़िंदगी-भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतना क़रीब से
मुझे गले से लगा लो बहुत उदास हूँ मैं
उमीद