जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे
आँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Gulzar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Allama Iqbal
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जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है
अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं
लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद
दीवारों का जंगल जिस का आबादी है नाम
26/जानवरी
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
देखा तो था यूँही किसी ग़फ़लत-शिआर ने
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना
कुछ बातें