इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ
जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Wasi Shah
Javed Akhtar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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तरब-ज़ारों पे क्या बीती सनम-ख़ानों पे क्या गुज़री
मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने
नूर-जहाँ के मज़ार पर
एक मंज़र
न मुँह छुपा के जिए हम न सर झुका के जिए
इंसाफ़ का तराज़ू जो हाथ में उठाए
वज्ह-ए-बे-रंगी-ए-गुलज़ार कहूँ तो क्या हो
ऐ शरीफ़ इंसानो
मिरे गीत
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जागीर
इंतिज़ार