न मुँह छुपा के जिए हम न सर झुका के जिए
सितमगरों की नज़र से नज़र मिला के जिए
अब एक रात अगर कम जिए तो कम ही सही
यही बहुत है कि हम मिशअलें जला के जिए
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
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Anwar Masood
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Ahmad Faraz
Wasi Shah
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आना है तो आ राह में कुछ फेर नहीं है
बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा
फ़न जो नादार तक नहीं पहुँचा
शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे
मैं जागूँ सारी रैन सजन तुम सो जाओ
जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया
मादाम
एहसास-ए-कामराँ
तोड़ लेंगे हर इक शय से रिश्ता तोड़ देने की नौबत तो आए
मिरे दिल में आज क्या है तू कहे तो मैं बता दूँ
पोंछ कर अश्क अपनी आँखों से मुस्कुराओ तो कोई बात बने